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word/pdf || ‘’और वे तुमसे लड़ाई जारी रखेंगे’’ || शेख अयमान-अल-जवाहिरी (अल्लाह उनकी हिफाजत करे)

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‘’और वे तुमसे लड़ाई जारी रखेंगे’’
शेख अयमान-अल-जवाहिरी (अल्लाह उनकी हिफाजत करे)
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“और वे तुमसे लड़ाई जारी रखेंगे”

 

 

शेख अयमान-अल-जवाहिरी

(अल्लाह उनकी हिफाजत करे)

 

मुहर्रम 1441/सितम्बर, 2019

 

 

 

आल-फिरदाउस मिडिया

उस अल्लाह के नाम पर, जो सबसे ज्यादा परोपकारी और दयालु है। अल्लाह के पैगम्बर, उनके परिवार और साथियों और उन सभी लोगों पर अमन और अल्लाह का आशीर्वाद रहे, जो उसके प्रति वफादार हैं।

 

सारी दुनिया के मेरे प्यारे मुस्लिम भाइयों,

अस्सलामु आलेकुम वा रहमतुल्लाही वा बरकतुहू !

न्यूयार्क, वाशिंगटन और पेन्सिल्वेनिया पर मुबारक हमले के अट्ठारह साल बीत चुके हैं। बीत रहे हर दिन के साथ अमेरीका इस्लाम और मुस्लिमों के प्रति अपनी जायनवादी-धर्मयोद्धाओं की सांसारिक दुश्मनी का और खुलासा करता जा रहा है। ट्रंप ने अलकायदा (येरूशलम) में अमरीकी दूतावास को स्थानांतरित करने की अपनी घोषणा का अनुसरण किया और साथ ही बसे-बसाए गोलान हाईट को इस्राइल के एक अभिन्न अंग के तौर पर अपनी मान्यता देना अमेरीका के असली चेहरे को सबके सामने लाता है और मुस्लिम जगत के प्रति अमेरिका की गहरी दुश्मनी भी दर्शाता है।

 

यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है कि इतिहास के पन्नों में अधिकांश जायनवादी गैर-यहूदी रहे हैं। अनीश्वरवादी नेपोलियन, बाल्फोर घोषणा से जुड़े वाल्फोर ऑटोमन राष्ट्र को लक्ष्य बनाने वाले साइक्स पिकॉट करार के वास्तुकार, मार्क साइक्स, अंग्रेज सिपाही लारेंस, जिसने अरब विद्रोह का नेतृत्व किया, अमेरीकी उपदेशक, जिन्होंने सिरियाई बाइबिली अकादमी में अरबी राष्ट्रवाद की सरपरस्ती की, अमेरिका के अनेक राष्ट्रपति-जिनमें से आखिरी ट्रंप हैं-और ऐसे ही हजारों और भी हैं, जो गैर-यहूदी जायनवादी रहे हैं। ये जायनवादी, हर जगह मुस्लिमों के खिलाफ जहर उगलते हैं और सारी दुनिया से आकर इस्राइल में आ बसते हैं। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि उनके खिलाफ लड़ाई को भी हर जगह ले जाया जाए।

फिलिस्तीन और सारी दुनिया के मेरे मुस्लिम मुजाहिदीन भाईयों ! फिलिस्तीनियों की प्रार्थना पर आज विचार करो : इसके अधिकांश भाग पर इस्राइल ने कब्जा किया हुआ है और शेष भाग वेस्ट बैंक और गाजा में बंटा हुआ है। वेस्ट बैंक पर सीधे इस्राइली इंटेलिजेंस का शासन है, जबकि गाजा सभी तरफ से इस हद तक घिरा हुआ और अवरूद्ध है कि गाजा के मुजाहिदीन-जिन्हें अल्लाह से ईनाम मिले, ज्यादा से ज्यादा इस्राइल पर कुछ मिसाइलें ही दाग सकते हैं और निर्मम इस्राइली सेना को जवाब देते हुए ऐसा प्रायः होता ही रहता है। इस प्रकार यह त्रासदी इस बात को उजागर करती है कि सिसी की सरकार कमजोर और विश्वासघाती है, जो गाजा के लोगों की घेराबंदी करती है और उन्हें ब्लैकमेल करती है। इस तरह इस्राइल और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक ताकतें फिलिस्तीन में जिहाद का दम घोट रही हैं और यहाँ मुजाहिदीनों द्वारा आपरेशन चलाने के लिए एक अत्यन्त दबाबयुक्त और घुटन भरा वातावरण बना रही हैं। इसलिए, मुस्लिमों और मुजाहिदीनों का यह कर्तव्य बन जाता है कि वे इस्राइल और सारी दुनिया की ऐसी अंतरराष्ट्रीय आपराधिक ताकतों के खिलाफ लड़ाई शुरू करके इस घेराबंदी को नष्ट कर दें। इसलिए शहादत की चाहत रखने वाले वे मुजाहिद, जो इस्राइलियों से लड़ना चाहते हों, अपनी पसंद की जगह पर इस्राइलियों से लड़ सकेंगे। यह सुनिश्चित कर लेने पर कि उनका लक्ष्य शरियाह के अनुसार सही है और उनके इस काम के परिणामस्वरूप मुस्लिमों को किसी तरह की क्षति नहीं होगी और उनके इस काम से होने वाला मुनाफा उसकी लागत से ज्यादा होगा, उसे सिर्फ अल्लाह पर भरोसा रखना है और यह पैगाम देते हुए अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ना है कि उसके जिहादी आपरेशन का उद्देश्य फिलिस्तीन सहित ऐसे सभी मुस्लिम देशों में हो रहे अपराधों का बदला लेना है। इस प्रकार हमने अपने शत्रुओं के पासे को पलटकर उन्‍हें उनकी कार्रवाई पर पुनर्विचार करने के लिए बाध्‍य कर दिया।

 

फिलिस्‍तीन तथा मुस्लिम उम्‍माह के मेरे शेष मुजाहिद भाइयों। इजरायल तथा इसके मित्र अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और यूरोपीय देशों के हित विश्‍वव्‍यापक हैं। इसलिए, जिस प्रकार वे हमारे विरूद्ध षडयंत्र करते हैं तथा हर जगह हमारे विरूद्ध सेनाएं भेजते हैं, हमें भी उन पर आक्रमण करना चाहिए…… हमारे अपने चुने हुए समय और स्‍थान पर। फिलिस्‍तीन के और इस्‍लामिक उम्‍माह के शेष मेरे मुजाहिदीनों! अल्‍लाह में विश्‍वास रखो, अल्‍लाह से मदद मांगो। दुश्‍मन पर निगाह रखो और अपनी तैयारियां रखो। किसी से भी मदद की उम्‍मीद मत रखो। शायद बहुत कम मदद को छोड़कर केवल अल्‍लाह से मदद मांगो तथा कोई कमजोरी मत दिखाओ। अपने तौर-तरीकों को नये रूप दो और उसे रचनात्‍मक बनाओ। शेष ओसामा तथा उनके भाइयों ने (अल्‍लाह उन्‍हें मुक्ति प्रदान करे तथा जो मुक्‍त हैं, उनकी सुरक्षा करे) हवाई जहाजों को बड़े पैमाने पर विनाश के हथियारों में बदल दिया।

जब तोरा-बोरा में उस्‍ताद मोहम्‍मद यासिर शेख ओसामा बिन लादेन (अल्‍लाह उन पर दया करें) से मिले, उन्‍होंने उससे कहा, विमान हाइजैक कर, उन्‍हें हवाई अड्डों पर उतारने का प्रयास करते हैं, केवल वापस कर देने या फंस जाने के लिए। तथापि, आज यदि कोई विमान हाइजैक करता है, तो वह इसे हथियार के रूप में प्रयोग कर सकता है। फिलिस्तीन के मेरे मुस्लिम भाइयों, हमें युद्ध की प्रकृति को समझना चाहिए। यह मुस्लिमों के विरूद्ध वैश्विक धर्मयुद्ध है तथा स्‍थानीय एवं वैश्विक युद्ध के बीच कोई विभाजन रेखा नहीं है। अमेरिका, जिसने अफगानिस्‍तान, इराक, सीरिया, खाड़ी के देशों, अरब प्रायद्वीप और पूर्वी अफ्रीका में दखल दे रखा है, एकमात्र वह देश है जो इजरायल का समर्थन करता है, पाकिस्‍तान में रिश्‍वत लेने वाले जनरलों का समर्थन करता है, तुर्की में सैन्‍य ठिकाने रखता है तथा सिसि एवं हफ्तार की लाइक्‍स को समर्थन देता है।

अमेरिका विश्‍व के किसी भी भाग में जिहाद को प्रारंभ से ही रोकने अथवा अपने यहॉं या पश्चिमी देशों में इसके फैलाव को रोकने हेतु अत्‍यंत आतुर है। इसलिए जब यह उसकी अपनी धरती पर हुआ, तो उसने इस तरीके के खतरे को महसूस किया। यही पैटर्न मैड्रिड और लंदन में भी दोहराया गया तथा इसके बाद से, अमेरिका ने इसके विरूद्ध प्रचार युद्ध प्रारंभ कर दिया जिसे वह ‘आतंकवाद’ के रूप में दर्शाता है।

पीछे जाने पर, वेतनभोगी और कार्य करने वाले ‘विद्वान’ और ‘विधिवेत्‍ता’ अमेरिकी आह्वान के प्रत्‍युत्‍तर में खड़े हो गये। और इस प्रकार ‘आतंकवाद’ तथा ‘आतंकवादी’ समूहों के रूप में पदनामित करने के बहाने सनसनी फैलाने का अभियान प्रारंभ हुआ। इसके साथ ही जेलों में उनके साथ गुप्‍त समझौते प्रारंभ हुए, जो समझौते के लिए तैयार थे। इस प्रकार हर एक ने आतंकवाद के विरूद्ध अमेरिका के साथ उसके प्रचार-गायन में सुर मिलाना प्रारंभ कर दिया।

सुभानअल्‍लाह। यह कितना आश्‍चर्यजनक है कि जिन्‍होंने इन सब पर हस्‍ताक्षर किए थे, उनमें से अधिकांश को आतंकवाद का आरोपी बनाया जा रहा है। जब मुजाहिदीन निरंकुश सरकारों के विरूद्ध लड़ रहे थे, तब यह घोषित करने के लिए आलोचकों और विचारधाराओं की बाढ़ आ गई कि इस जिहाद का कोई उपयोग नहीं है तथा यह कि जिहाद ऐसा होना चाहिए, जिस पर उम्‍माह में मतैक्‍य हो। इसलिए जब मुजाहिदीनों ने उम्‍माह के प्रमुख शत्रु के विरूद्ध युद्ध प्रारंभ किया तो उन्‍हीं आलोचकों ने अपना दृष्टिकोण बदलते हुए कहा, ”यह वैश्विक आतंकवाद है।”

इससे बुरा यह है कि जेलों से मुक्‍त हुए बैकट्रैकर ने एक सिद्धांत दिया जिसमें किसी के लिए गुणावगुण पर विचार किए बिना ही कारण का परित्‍याग करना आवश्‍यक है। अनवर सादात के लिए संवेदनाएं व्‍यक्‍त करने तथा उन्‍हें ‘संघर्ष का शहीद’ घोषित करने के बाद, अमेरिका के उन चापलूसों ने घोषित किया कि उन पर थोपी गई निरंकुश शासन प्रणालियों के साथ सहयोग किए बिना अमेरिका का सामना करना संभव नहीं था। इसलिए यह क्‍या है जिसकी वे मांग कर रहे हैं। क्‍या हम जिहाद छोड़ दें।

उन्‍होंने डब्‍ल्‍यूटीसी में निर्दोष नागरिकों की हत्‍या का हम पर आरोप लगाकर खुद इसकी आड़ में छिपने का प्रयास किया। अल्‍लाह की रहमत से हमने इन संदेहों का पूरी तरह से खंडन कर दिया है। तथापि, उनके तर्क को ही उनके विरूद्ध प्रयोग करते हुए मैं उनसे पूछना चाहूँगा कि यदि उनको विश्‍वास है कि हमने डब्‍ल्‍यूटीसी में निर्दोषों की हत्‍या की थी और प्रारंभ करने के लिए यह एक गलत धारणा है- क्‍या पेंटागन में मारे गये लोग भी निर्दोष थे या यह सबसे बड़ा मुख्‍यालय था जिसे निशाना बनाया गया। मुस्लिमों के विरूद्ध अपराधों में शामिल सबसे बड़े अपराधियों का मेजबान। कांग्रेस और व्‍हाइटहाउस की ओर चलाए गए विमानों के बारेमें क्‍या कहना है। क्‍या उनका लक्ष्‍य भी निर्दोष ही थे।

यदि आप जिहाद को केवल सैन्‍य ठिकानों पर ही केंद्रित रखना चाहते हैं, तो अमेरिकी सेना पूर्व से पश्चिम तक संपूर्ण विश्‍व में मौजूद है। आपके देशों में अमेरिकी अड्डे हैं, जहॉं सभी काफिर रहते हैं और भ्रष्‍टाचार फैलाते हैं। इसलिए हमें आपके जिहाद को दोषमुक्‍त देखना चाहिए।

ब्रिटेन, फ्रांस और नाटो की सेनाएं संपूर्ण विश्‍व, विशेष रूप से मुस्लिम क्षेत्रों में मौजूद हैं। इसलिए फिलिस्‍तीन में इनके अपराधों तथा इजरायल के समर्थन के लिए प्रतिशोध के रूप में इन पर हमला करें।

फ्रांस की सेनाएं माली पर कब्‍जा कर रही हैं तथा साहेल और सहारा में मुस्लिमों पर हमला कर रही हैं। आप उनकी अनदेखी क्‍यों करते हो तथा अपने मुस्लिम भाइयों को उनके द्वारा कुर्बानी के मेमनों के रूप में मारे जाने के लिए त्‍याग देते हो।

क्‍या यह काफिर अतिक्रमणकारी शत्रु के विरूद्ध युद्ध नहीं है, जो मुस्लिमों की पवित्रताओं को भंग कर रहा है। इसमें आपकी भूमिका कहां है। आपके सामने ही अमेरिकी सेनाएं और उनके मित्र सोमालिया पूर्वी अफ्रीका के विरूद्ध आक्रमण कर रहे हैं।

जिहाद के कार्यों में, दुश्‍मनों को मार भगाने और आक्रमणकारियों के खिलाफ मुस्लिमों की सहायता करने में आपका योगदान कहॉं है। क्‍या यह एक मुस्लिम जमीन और मुस्लिम राष्‍ट्र को निशाना बनाकर एक जिहादी हमले की शक्‍ल में धर्म युद्ध नहीं है। ऐसे हालात में आपका क्‍या योगदान है। रूस के अपराधियों में मुस्लिमों का एक गुट शामिल है और मध्‍य एशिया उनके कब्‍जे में है। वे सीरिया में खुलेआम मुस्लिमों का खून बहाते हैं, हमारे खून का अपमान करते हैं। वे इजराईल की सहायता और संरक्षण करते हैं। पूरी दुनिया में फैली हुई इनकी सैन्‍य शक्ति के खिलाफ आपने क्‍या किया। कादिरों, जाओ और इन अपराधी डाकुओं का समर्थन करने की बजाय रूस की सैन्‍य ताकतों का सामना करो।

भारतीय सेनाएं कश्‍मीर में मुस्‍लमानों पर कब्‍जा कर रही हैं। आपने कश्‍मीरी मुजाहिदीनों की सहायता और भारतीय सेनाओं पर हमला करने के लिए क्‍या किया। चीन की सैन्‍य ताकतें पूर्वी तुर्की पर पर हावी हो रही हैं। आपने ऐसी ताकतों के खिलाफ जिहाद के आंदोलन और तुर्की मुजाहिदीनों की सहायता के लिए क्‍या योगदान दिया।

इजराईली दूतावास और उनके हितचिंतक पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इसलिए आओ और डब्‍ल्‍यू टी सी के बारे में बहस पर अपना समय जाया करने की बजाय, उन पर हमला करें। तथाकथित ‘आतंकवाद’ के नाम पर अमेरिकी युद्ध के अलावा, सफाविद ईरान ने भी अभियान में अपने तरीके से भाग लिया। इससे हायतौबा मच गई कि यह एक इजराइली-अमेरिकी षडयंत्र था। लेकिन यह कदम, प्रत्‍येक उस व्‍यक्ति के लिए एक ठोस जवाब था, जो उनसे असहमत था अथवा उनका विरोधी था। यदि इसके बाद भी वे चुनावों में आपस में लड़ते हैं, तो वे एक दूसरे पर पहले ही दोषारोपण की कोशिश करते हैं। जबकि वास्‍तव में इरान ने अफगानिस्‍तान, इराक और सीरिया के खिलाफ अमेरिकी युद्ध में भाग लिया था। अमेरिकी सेना ने सीरिया में सैन्‍य कार्रवाई के लिए शिया नागरिक सेना को अनुमति दी थी और वहॉं पर अमेरिका द्वारा उन्‍हें कार्रवाई के बारे में स्‍पष्‍ट निर्देश दिए गए थे।

यह एक बिडम्‍बना ही कही जाएगी कि शिया नागरिक सेना इराक में, अमेरिकी वायुसेना और तोपों के संरक्षण में अमेरिकी सलाहकारों के नेतृत्‍व और योजना के अनुसार स्‍वघोषित खलीफा, इब्राहिम अल बद्री से लड़ रही थी। ये नागरिक फौजें युद्ध क्षेत्र से, अमेरिकी एयरक्राफ्ट की छत्रछाया में मीडिया के सामने अपनी शेखी बघारते हैं कि उन्‍होंने आतंकवादियों पर विजय पा ली है।

मुद्दा यह है कि इरान ने अफगानिस्‍तान, इराक, सीरिया और यमन में अमेरिकियों के साथ एक समझौता कर लिया है। यह केवल इस व्‍यवस्‍था के  पुन: कायम होने के मुद्दे पर सहमत नहीं है। उनके साथ इस समझौते पर हस्‍ताक्षर के समय से ही, जबकि यह उनके लिए उचित समय नहीं था, उसकी भयादोहन की नीति लगातार जारी है।

इरान को यह सुनिश्चित करने में गहरी रूचि है कि अहल अस-सुन्‍नाह की अमेरिका पर विजय और उसके साथ उनकी गहरी दुश्‍मनी, जनता की निगाहों में प्रमुखता से न रहे। इसी तरह, मुजाहिदों के विरूद्ध जिहाद के नेता के रूप में अहल अस सुन्‍नाह के मुजाहिदीन की योजना को रोकने में उत्‍सुक है, क्‍योंकि वे पर्शिया और रोम के विजय-काल से लेकर अब तक एक साथी (अल्‍लाह उन्‍हें प्रसन्‍न रखे) की तरह रहे हैं।

क्‍या यह उन साथियों के जिहाद के लिए नहीं था- अल्‍लाह उन्‍हें प्रसन्‍न रखे- इस दिन के लिए पर्शिया के लोग अग्नि पूजक हो गये। ये वही साथी थे, जिन्‍होंने उन्‍हें इस्‍लाम की रोशनी की ओर ले आए और उन्‍हें अंधेरे से निकाल कर प्रकाश की ओर लाने में उनकी मदद की जैसे कि हमारे पैगम्‍बर रबी बिन आमीर(आर.ए) द्वारा स्‍पष्‍ट रूप से बताया गया, जिन्‍होंने रूस्‍तम को संबोधित करते हुए इस प्रकार कहा, ‘अल्‍लाह ने हमें उन लोगों को बचाने के लिए भेजा है, जिनसे वह आदमी की नहीं, बल्कि अल्‍लाह की इबादत करवाना चाहता है, संकीर्णता को दूर करके विशालता की ओर ले जाना चाहता है और धर्मों के दमन से बचाकर इस्‍लाम को न्‍याय दिलाना चाहता है। उन्‍होंने रफीदा से जो ईनाम पाया, वो यह था कि उन्‍होंने उन्‍हें काफिर घोषित कर दिया। कितना बुरा था उनका न्‍याय।

दुनिया भर के मेरे मुसलमान भाइयों। अमेरिका ताकत की भाषा के अलावा और कुछ भी नहीं समझता। जो अमेरिका को क्षति पहुँचाते हैं, उनके साथ वह समझौता करता है और जो इसकी ताकत के आगे झुक जाते हैं, उसे अमेरिका तब तक नहीं छोड़ता जब तक कि वह उसे पूरी तरह अपने अधीन न कर ले। इस्‍लामिक अमीरात, अमेरिका के साथ कड़ाई से पेश आया, जिसके कारण अमेरिका ने अफगानिस्‍तान से वापसी पर उनके साथ बातचीत की इच्‍छा जताई, जबकि अमेरिकी ताकत के आगे जो लोग झुक गए, अमेरिका ने उनके विरूद्ध हत्‍यारों, कसाइयों तथा कटु आलोचकों को खड़ा कर दिया। यह ब्रिटिश के साथ शरीफ हुसैन की पुरानी कहानी है, इसलिए सावधान हो जाओ। हे न्‍यायप्रिय लोगों, अंतिम प्रार्थना यह है कि सभी प्रार्थनाएं अल्‍लाह के लिए हैं, जो दुनिया का मालिक है और मेरे मालिक मोहम्‍मद साहब उनके परिवार तथा साथियों को शांति एवं दुआ कबूल हो। वस्‍सालमू आलेकुम वा रहम रहमतुल्‍लाही वा बरकतुहु।

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